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NITI Aayog

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How a plan was formed before NITI Aayog (which replaced Planning Commission ) ? First step was to prepare an approach paper. After it is ready it used to go to National Development Council. After it is approved by NDC, Planning commission used to make Draft Plan. The plan was placed in the parliament and when parliament passed it, the plan used to become effective. How a plan is formed now Abandoning the ancient concept of five-year plans that India has been following since 1951, the National Institution for Transforming India (NITI) Aayog has decided to come up with a 15-year vision document in tandem with global trends and economic growth. The long-term vision document will formulate various ways through which India can achieve its broader social objectives to meet the UNDP’s 2030 sustainable goals and will be a roadmap on transformation required in the planning system to sync it with the 14th Finance Commission recommendations. NITI AAYOG- National Institution for Tra...

दास कैपिटल और कार्ल मार्क्स

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दास कैपिटल और  कार्ल मार्क्स सितंबर 2018 में कार्ल मार्क्स द्वारा लिखित पुस्तक दास कैपिटल का 151 वर्ष पूरे हो रहे हैं इस पुस्तक को कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगल्स द्वारा 1867 में लिखा गया पुस्तक में बताया गया है, पूंजीवाद किस प्रकार से राज्य के समांतर कार्य करता है व्यक्ति द्वारा दी गई मजदूरी को राज्य अपने उपयोग में किस प्रकार विच्छेदित करता है ,धनबल का संबंध कैसे राज्य का चरित्र परिवर्तित करता है, कार्ल मार्क्स ने कहा है कि सर्वहारा वर्ग ,पूंजीपतियों के खिलाफ विद्रोह  तैय  है ,मार्क्स ने माना है, पूंजी श्रमिकों के शोषण की बुनियाद पर टिकी है यह श्रमिकों का खून पीकर और मजबूत हो रही है, मार्क्स  ने यथार्थवाद को ध्यान में नहीं रखा है!  दास कैपिटल अर्थशास्त्र को समाजशास्त्र से जोड़कर देखता है, मार्क्स ने कहा है कि उत्पादों की दुनिया में व्यक्तिगत संबंध भी चीजों के आपसी संबंधों की तरह हो गए हैं मेरे जैसे पुराने फैशन वाले आदमी के लिए यही सत्य है , धन  मानव के श्रम के शोषण से ही निकलता है मार्क्स ने राज्य के प्रभाव को भी समझाया है बाद में इसे परिस्थितिकीय प्...

ईरान-अमेरिका संघर्ष में कहां खड़ा है भारत?

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ईरान-अमेरिका संघर्ष : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद ,वैश्विक व्यवस्था अनिश्चितता का शिकार बनती दिख रही है,ट्रंप के अप्रत्याशित प्रभाव से ना केवल उनके सहयोगीयों बल्कि दुनिया के तमाम देशों को थोड़े थोड़े अंतराल पर जोर के झटके लगे हैं, फिर चाहे वह "अंतर प्रशांत भागीदारी"(ट्रांस पैसिफिक  पार्टनरशिप ) से अमेरिका के अलग किए जाने की घोषणा हो, "उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार " संधि को निरस्त करने के इरादे को व्यक्त करना हो अथवा ईरान के साथ में परमाणु समझौते को निरस्त करने की एकतरफा घोषणा, इससे बड़ा झटका तब लगा जब प्रशासन ने एक फरमान जारी कर स्पष्ट कर दिया कि भारत चीन पाकिस्तान एशिया के देश ईरान से तेल आयात बंद कर दें,इसके लिए 4 नवंबर की डेडलाइन भी तय कर दी गई और स्पष्ट निर्देश दिए गए कि यदि इस तारीख तक ईरान के साथ कारोबार बंद नहीं किया गया तो उन देशों के आर्थिक प्रतिबंध लगाने संबंधी कार्यवाही की जाएगी और इसमें जरा सी भी नरमी नहीं बढ़ती जाएगी,  डोनाल्ड ट्रंप के इस रवैया को देखकर कई सवाल  उठते हैं,पहला यह कि डोनाल्ड ट्रंप के इस तरह के फरमान दुनिया को क्या सं...

जेनरिक दवाइयां और भारत

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जेनरिक दवाइयां वे दवाइयां हैं जिनकी पेटेंट सीमा समाप्त हो गई है, यह मूल दवाइयों की प्रतिलिपि को जेनेरिक कहा जाता है जो खुराक,प्रतिरूप, सुरक्षा ,शक्ति,गुणवत्ता, प्रशासन क्रम तथा निष्पादन में उनके समान मौलिकता से निर्मित की जाती हैं, जब उन्हें इसी पंजीकृत ब्रांड नाम के तहत बेचा जाता है तो इसे ब्रांडेड जेनेरिक के रूप में माना जाता है तथा ब्रांड और जेनेरिक  के बीच बस उत्पादित कंपनी का अंतर होता है! लोक स्वास्थ्य के संदर्भ में जेनरिक दवाइयां क्यों महत्वपूर्ण मुद्दा होना चाहिए:  1 ब्रांडेड दवाइयां अधिक महंगी है, जेनेरिक दवाइयों को ब्रांडेड के समकक्ष सिद्ध करने के लिए एक पूर्ण नैदानिक परीक्षण नहीं करना पड़ता ,जैब - समकक्षता परीक्षण जेनेरिक दवाइयों हेतु नैदानिक परीक्षणों से अत्यधिक सस्ता है ! 2 ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयों के बीच मूल्यों  का अंतर इतना अधिक है कि मध्यम वर्ग भी ब्रांडेड दवाइयों को वाहन नहीं कर सकता भारत में आबादी का बड़ा भाग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है तथा स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से भी प्रभावित है इसलिए आवश्यक दवाइयों के रूप में जेनरिक दवाइयां गरीबों क...

Generic medicine and

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The generics are medicines on which the patents have expired. They are sold either as branded products or as unbranded products under their generic names. These drugs are equivalent to a brand-name product in dosage, strength, route of administration, quality, performance, and intended use. Branded medicines are more expensive. The generic drug does not have to undergo a complete clinical trial to be proved equivalent, the bio equivalence test is much cheaper than clinical trials making generic drugs cheaper.     Cost difference between branded and generic drug is so much that even well to do people cannot afford a branded drug. In India, a large population falls below poverty line and also affected with health related issues, hence generic drugs help poor in accessing the essentials drugs.                                                     ...

Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act

अमेरिकी कॉन्ग्रेस के सम्मलेन में भारत को अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) से छूट देने की बात कही गई है। उल्लेखनीय है कि इसका मुख्य उद्देश्य रूसी खुफिया एजेंसियों और साइबर हमलों से जुड़ी अन्य संस्थाओं को लक्षित करना था। सीनेट और हाउस आर्म्ड सर्विस कमिटी के संयुक्त सम्मलेन की रिपोर्ट में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (NDAA)- 2019 के माध्यम से CAATSA की धारा 231 में संशोधन किया जाएगा। अधिनियम के मौजूदा संस्करण के विपरीत प्रस्तावित संशोधन में अमेरिकी गठजोड़, सैन्य परिचालन, और संवेदनशील प्रौद्योगिकी की रक्षा हेतु छूट के लिये अब राष्ट्रपति के प्रमाणन की आवश्यकता होगी। क्या है CAATSA? 2 अगस्त, 2017 को अधिनियमित और जनवरी 2018 से लागू इस कानून का उद्देश्य दंडनीय उपायों के माध्यम से ईरान, रूस और उत्तरी कोरिया की आक्रामकता का सामना करना है। यह  अधिनियम प्राथमिक रूप से रूसी हितों, जैसे कि तेल और गैस उद्योग, रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र तथा वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंधों से संबंधि...

भारत और क्षेत्रीय संगठन

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भारत और क्षेत्रीय संगठन पाकिस्तान में इमरान खान के नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बावजूद भारत का ध्यान क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सार्क की बजाय बिम्सटेक की ओर अधिक है , जो समय की मांग के साथ भारत के रणनीतिक सूझ - बूझ के तालमेल का परिचायक है। अक्तूबर 2016 में , सार्क शिखर सम्मेलन को रद्द करने के ठीक बाद , प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में ब्रिक्स - बिम्सटेक आउटरीच शिखर सम्मेलन को बुलाया और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये बिम्सटेक को भारत के प्राथमिक संगठन के रूप में पुनर्जीवित करने का वादा किया। इस लेख के माध्यम से हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि सार्क और बिम्सटेक संगठन क्या हैं तथा क्यों बिम्सटेक भारत के लिये सार्क की तुलना में अधिक प्रासंगिक है ? बिम्सटेक और सार्क संगठन   बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल ( बिम्सटेक ) §   एक उप - क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समूह के रूप में बिम्सटेक ...