Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act
अमेरिकी कॉन्ग्रेस के सम्मलेन में भारत को अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) से छूट देने की बात कही गई है। उल्लेखनीय है कि इसका मुख्य उद्देश्य रूसी खुफिया एजेंसियों और साइबर हमलों से जुड़ी अन्य संस्थाओं को लक्षित करना था। सीनेट और हाउस आर्म्ड सर्विस कमिटी के संयुक्त सम्मलेन की रिपोर्ट में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (NDAA)- 2019 के माध्यम से CAATSA की धारा 231 में संशोधन किया जाएगा।
अधिनियम के मौजूदा संस्करण के विपरीत प्रस्तावित संशोधन में अमेरिकी गठजोड़, सैन्य परिचालन, और संवेदनशील प्रौद्योगिकी की रक्षा हेतु छूट के लिये अब राष्ट्रपति के प्रमाणन की आवश्यकता होगी।
क्या है CAATSA?
- 2 अगस्त, 2017 को अधिनियमित और जनवरी 2018 से लागू इस कानून का उद्देश्य दंडनीय उपायों के माध्यम से ईरान, रूस और उत्तरी कोरिया की आक्रामकता का सामना करना है। यह अधिनियम प्राथमिक रूप से रूसी हितों, जैसे कि तेल और गैस उद्योग, रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र तथा वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंधों से संबंधित है।
- यह अधिनियम अमेरिकी राष्ट्रपति को रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों (महत्त्वपूर्ण लेनदेन) से जुड़े व्यक्तियों पर अधिनियम में उल्लिखित 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम से कम पाँच लागू करने का अधिकार देता है।
- इन दो प्रतिबंधों में से एक निर्यात लाइसेंस प्रतिबंध है जिसके द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति को युद्ध, दोहरे उपयोग और परमाणु संबंधी वस्तुओं के मामले के निर्यात लाइसेंस निलंबित करने के लिए अधिकृत किया गया है।
- यह स्वीकृत व्यक्ति के इक्विटी या ऋण में अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध लगाता है।
भारत के लिये छूट क्यों?
दरअसल अमेरिका का CAATSA भारत और रूस के बीच चल रहे S- 400 वायु रक्षा मिसाइल तंत्र के सौदे को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, क्योंकि इस कानून के माध्यम से अमेरिका उन देशों को प्रतिबंधित करता है जिसने रूस के साथ रक्षा सहयोग के क्षेत्र में समझौता किया है। लेकिन इस कानून में अब भारत सहित इंडोनेशिया और वियतनाम को छूट देने की बात की जा रही है। भारत को मिलने वाली छूट को निम्नलिखित संदर्भों में समझा जा सकता है-
- ओबामा प्रशासन ने भारत को रक्षा संबंधों में सामरिक भागीदार या स्ट्रैटेजिक पार्टनर का दर्ज़ा प्रदान किया है, लेकिन CAATSA कानून के लागू होने से यह दर्ज़ा अप्रासंगिक होता जा रहा था।
- अमेरिका ने महसूस किया है कि भारत के साथ उसके व्यापारिक संबंधों में काफी तेज़ी आई है। यदि सैन्य या रक्षा उत्पादों के संदर्भ में देखा जाए तो पिछले तीन वर्षों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस तरह मौज़ूदा CAATSA कानून दोनों देशों के बीच गहरे होते रिश्ते के लिये भी बाधक के रूप में देखा जा रहा था।
- साथ ही भारत के संदर्भ में अमेरिकी हित भारत को S- 400 वायु रक्षा मिसाइल तंत्र की खरीद को रोकने से कहीं ज़्यादा है।
- चूँकि भारत विश्व का सबसे बड़ा सैन्य सामानों का खरीदार है ऐसे में इस कानून के माध्यम से अमेरिका सबसे बड़े बाज़ार से वंचित रह जाता। इसके अतिरिक्त यह कानून अमेरिकी निवेश और घरेलू रक्षा उद्योगों को भी प्रभावित कर रहा था।
छूट के मायने
- भारत को CAATSA से छूट दिये जाने से भारत और अमेरिकी संबंधों की गहराई का पता चलता है और साथ ही यह इस बात की ओर भी संकेत करती है कि भारत का ‘बैकडोर डिप्लोमेसी’ काफी सही तरीके से कार्य कर रही है।
- इस छूट के माध्यम से वह सबसे पहले भारत द्वारा रूस से खरीदे जा रहे S-400 मिसाइल तंत्र की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा। इसके साथ ही रूस समर्थित रक्षा उपकरणों की मरम्मत भी आसान बनाएगा।
- अमेरिका के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह बेल्ट एंड रोड पहल, दक्षिण चीन सागर में चीन का दबदबा, ट्रेड वॉर आदि के रूप में चीन के उभार को रोकने और भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने हेतु उसकी प्रतिक्रिया भी मानी जा सकती है।
- इसके अतिरिक्त यह भारत-अमेरिका संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में अमेरिकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- निश्चित रूप से यह छूट भारत और अमेरिका की आगामी वार्ता ‘2+2 डायलॉग’ को खुशनुमा और परिणाम आधारित बनाएगा साथ ही यह दोनों देशों के लंबित मुद्दों पर आगे बढ़ने में मदद करेगा रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (Defense technology trade initiative-DTTI) पर दोनों देशों को आगे बढ़ाएगी भारतीय प्रवासियों के बढ़ते महत्त्व ने भी दोनों देशों के संबंध को प्रगाढ़ करने में योगदान दिया है जो आगे आने वाले दिनों में और भी मज़बूत होगा।
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत सही बातों को सामने लाए
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