प्रकाश सिंह की राय पुलिस सुधार को लेकर


पूर्व डिप्टी जनरल ऑफ पॉलिस प्रकाश सिंह की राय पुलिस सुधार को लेकर 


प्रश्न
आप कैसे देखते हैं कम से कम 2 वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी करते हुए पंजाब सरकार ने डीजीपी पद के लिए 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी को चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के क्या निर्देश हैं और यूपीएससी की क्या सिफारिश है?

जबाब- मुझे लगता है की सर्वोच्च न्यायालय की मूल जनादेश को गलत समझा जा रहा है और एक व्याख्या दी गई है जो सर्वोच्च न्यायालय की मनसा नहीं थी, मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि 2006 के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के मूल जनादेश ने किसी भी अधिकारी को निराश नहीं किया है सेवा के 2 वर्ष को छोड़ दिया जाए तो विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारी का चयन सेवा की अबधि और अनुभव की सीमा के आधार पर किया जाएगा और इसके व्यवहारिक निहितार्थ को समझने का प्रयास करने और अधिकारी को 18 महीनों की सेवा शेष है तो उसे पदोन्नति दी जा सकती है अगर पदोन्नति मैं नजरअंदाज किया जाता है तो वह सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के 2006 के निर्णय को अब तक किसी भी सरकार ने क्रमगत रूप से प्रस्तुत नहीं किया वह यह निर्णय कहीं ना कहीं चलता हुआ ही दिखता है सभी राज्य सरकारों में !

प्रश्न
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारी को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए आपकी जनहित याचिका पर 2006 में निर्देश जारी किया था , क्या आपको 13 साल बाद कोई बदलाव  नजर आया है ?

इसमें कोई बदलाव नहीं दिख रहा है राजनीतिक हस्तक्षेप लगातार जारी है यह केंद्र और राज्य के बीच एक लड़ाई है जिसे पुलिसकर्मी पाउंड के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें पेशेवर घटना अधिकारी को स्लैब से या दोष देने के लिए नुकसान हो रहा है लेकिन बिंदु यह है कि हमें अधिकारी को दोष कब देना चाहिए देश में किसी ने भी उन्हें बाहर के दबाव से अपमान करने के लिए नहीं बुलाया है, हर अधिकारी को आपकी दशा कहने की हिम्मत नहीं है जब तक स्वयत रुप से संस्था काम नहीं करेगी , राजनीतिक हस्ताक्षेप होते रहेंगे !


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