Election and you?
राजनीति का गिरता स्तर (गुजरात चुनाव)
गुजरात के प्रथम चरण में भारी मतदान देखने को मिला सुबह से ही 10% से 13% जनता मतदान केंद्रों के बहार खड़ी थी। ऐसे जबरदस्त मतदान से सियासी दलों में बेचैनी साफ दिखाई देती है जब वे अपना अपना राग अलापते है यहाँ पर बहुत से नए मतदाताओं के मत निर्णायक सिद्ध हो सकते है वे सभी चीजों का आंकलन हर पहलुओं से करते है आज वैसे भी सोशल मीडिया का युग है। गुजरात मॉडल जिसका दम भाजपा देशभर के चुनावों में भरती है उसकी बात खुद 2017 के चुनाव में फीकी पड़ती दिखी जब गुजरात के चुनाव में अंतराष्ट्रीय मुद्दों का,मुग़ल इतिहास का,गलियों की रासलीला निन्म शब्दों का चयन होना,जनता से मिलने से अधिक मंदिरों में जाना ये लोग चर्च नहीं गए इसलिए एक चर्च में पादरी ने विशेष विचारधारा के लोगों को मत देने की माना की।
जिस पाकिस्तान का मुद्दा खुद उसके मुल्क में नहीं उठता उस पाकिस्तान का नाम गुजरात चुनाव में लाना अपने आप में एक निम्न स्तर की राजनीति है इसकी शुरुआत राहुल गांधी के ट्विटर से मुंबई 26/11 का दोषी हफीज सईद को पाकिस्तान से नजरबंद की रिहाई की बधाई देना फिर मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री को नीच कहना, जिस प्रधानमंत्री को 2014 में जनता ने भारी बहुमत से चुना उसका अपमान करना है यही बात प्रधानमंत्री ने सभा में कही आगे जब राहुल गांधी अपनी सभाओं में कहते धूम रहे है कि हम प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ठेस नहीं होने देंगे चाहे वो हमको कितना भी अपमानित करे किंतु एक दम से मणिशंकर अय्यर को क्या हुआ जो ऐसा बयान दे बैठे। फिर एकदम से ही उनको कांग्रेस पार्टी से बर्खास्त कर दिया। उनके बयान से गुजरात की राजनीति में भारी भरकम भूचाल आ गया था अभी कांग्रेस सिब्बल और सुजेवाला के बयानो परेशान थी आगे ये सब। गुजरात में मुख्य मुख्य तीन बात चल रही है मंदिरो की परिक्रमा,निम्न राजनीतिक भाषा का उपयोग होना, पाकिस्तान का नाम ,ये होना चाहिए था कि गुजरात के भविष्य को लेकर आपके पास क्या विचार है जो वहां पर मुस्लिम को दूसरे दर्ज का नागरिक मना जाता है उसका विकास कैसे होगा
जिस पाकिस्तान का मुद्दा खुद उसके मुल्क में नहीं उठता उस पाकिस्तान का नाम गुजरात चुनाव में लाना अपने आप में एक निम्न स्तर की राजनीति है इसकी शुरुआत राहुल गांधी के ट्विटर से मुंबई 26/11 का दोषी हफीज सईद को पाकिस्तान से नजरबंद की रिहाई की बधाई देना फिर मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री को नीच कहना, जिस प्रधानमंत्री को 2014 में जनता ने भारी बहुमत से चुना उसका अपमान करना है यही बात प्रधानमंत्री ने सभा में कही आगे जब राहुल गांधी अपनी सभाओं में कहते धूम रहे है कि हम प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ठेस नहीं होने देंगे चाहे वो हमको कितना भी अपमानित करे किंतु एक दम से मणिशंकर अय्यर को क्या हुआ जो ऐसा बयान दे बैठे। फिर एकदम से ही उनको कांग्रेस पार्टी से बर्खास्त कर दिया। उनके बयान से गुजरात की राजनीति में भारी भरकम भूचाल आ गया था अभी कांग्रेस सिब्बल और सुजेवाला के बयानो परेशान थी आगे ये सब। गुजरात में मुख्य मुख्य तीन बात चल रही है मंदिरो की परिक्रमा,निम्न राजनीतिक भाषा का उपयोग होना, पाकिस्तान का नाम ,ये होना चाहिए था कि गुजरात के भविष्य को लेकर आपके पास क्या विचार है जो वहां पर मुस्लिम को दूसरे दर्ज का नागरिक मना जाता है उसका विकास कैसे होगा
1995 से आज तक कांग्रेस से सिर्फ 2 मुस्लिम विद्यायक आए है एक भी भाजपा से नहीं उत्तरा बीबीसी रिपोर्ट की माने तो आज भी वहां पर दंगे होते है पर उसका स्वरूप एक दम भिन्न प्रकार का है ये महानगर में नहीं होते ये सिर्फ गांव पिछडे इलाकों में होते है। पर अच्छी बात ये भी है कही कही पर हिन्दू आबादी होने बावजूद मुस्लिम महिला सरपंच है दलितों की धटना आज की हमको याद है किसी प्रकार उनको मवेशियो की खाल उतरने का काम करना पड़ता है
वहां अभी भी लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य,स्वरोजगार, विकास का वातावरण नहीं मिला, इधर कुपोषण की संख्या अधिक है कही कही पानी की भी समस्या अभी बाकि है समुंद्री अपराध,सुरक्षा उस पर भी ध्यान देना होगा।
अभी गुजरात को बुलट ट्रैन की सौगात मिली बदलाव हो रहा है पर फिर की प्रधानमंत्री मोदी और अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी मंदिरों की परिक्रमा करते नजर आ रहे है। और होना भी चाहिए क्योंकि 2019 का चुनाव 2017 के गुजरात चुनाव का टीका हुआ है कोई कितना भी मना करे पर हकीकत यही है उसका कारण हम सभी समझते है पर समझ कर भी नहीं समझ चाहते फिर भी बात ये है कि मोदी 2014 में गुजरात मॉडल को अपनी सभी सभाओं में जोर शोर से प्रचलित किया फिर भारी बहुमत से जीते भी यदि 2017 के चुनाव में वे गुजरात हार जाते है तो 2019 में भी उनका नुकसान होगा। साथ राहुल गाँधी आज की कांग्रेस के अध्यक्ष बने है
उसका राजनीतिक जीवन 2019 के चुनाव पर ही टीका हुआ है शूरू शूरू में गुजरात चुनाव के बिगुल के साथ मुझे लगा था कि ये चुनाव मुद्दों पर होगा जी एस टी,नोटबंदी पर केन्द्रित होगा पर राहुल गांधी जनेऊ धारी है या नहीं वो हिंदू है या नहीं मोदी नीच है या नहीं औरगजेब से लेकर हाफिज सईद तक इस चुनाव में समावेश हो चुका है सोशल मीडिया पर कितना झूठ का जाल फैलाया जा चुका है सलमान निजामी जिस पर कही आधार नहीं वो प्रधानमंत्री की जुबान पर है इन सब में विकास क्यों पागल हो जाता है समझना होगा।। राजनीति समाज को दिशा देती है वोही अमन चेन सुक़ून देती है चुनावी जीत के लिए हम राजनीति का एक स्तर बना कर रखें।।
Vishal Kumar
Editor - political analyst(freelancer)
Comments
Post a Comment