आस्तित्व को भुला बंगाल
आस्तित्व को भुला बंगाल
बंगाल शब्द सुन कर कभी दिल में राष्ट्रप्रेम में राग जगाने वाले महान विभूतियों का संस्मरण मस्तिष्क में आता था जब जगदीश बसु ,देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय,शरद चंद चट्टोपाध्याय,रवीन्द्र नाथ ठाकुर,सुभाष चंद्र बोस,स्वामी विवेकानंद,खुदीराम बोस ना जाने कितने ऐसे लोग है जिन्होंने बंगाल को एक वैश्विक पहचान दी। ये बंगाल का दुर्भाग्य रहा कि वहां पर वामपंथी विचार धारा का गढ़ रहा है उनके मुख्यमंत्री कार्यालय में कभी लेनिन, स्टालिन,मार्क्स की तस्वीरों से सज्जा हुआ करता था ममता बनर्जी ने 35 साल बाद वो वामपंथी किला ध्वस्त किया उनसे उम्मीद तो जनता को यही थी कि वे सब को साथ लेकर काम करेंगी पर आज ऐसा होता दिखाई नहीं देता ममता बनर्जी पूरी वामपंथी ना हो कर उनसे भी दस कदम आगे निकल गई है वे जिस तरह की राजनीति कर रही है उस से बंगाल मे आने वाले समय में अलग हो सकता है बंगाल सिर्फ बंगाल नहीं है वे पूर्वात्तर का एक ऐसा राज्य है जहाँ भारत पूर्वी देशों तक अपनी पहुँच बना सकता है वहां समस्या सीमा क्षेत्रों में बंगलादेशी मुस्लिमों घुसपैठिये की आबादी का बढ़ना विधानसभा सीटों पर उनकी निर्णायक भूमिका होना कुछ देशद्रोही लोगों के दुआर उनको लाना,भूतपूर्व कांग्रेस सरकार का बांगलादेश सीमा विवाद सुलझने में नाकामी,भारत बंगलादेश सीमा को बंद सुरक्षित नहीं कर पाने के कारण बंगाल में ये बंगलादेशी मुस्लिमों घुसपैठिये लाये जाने के कारण बहुत सी परेशानी उत्पान हो रही है आज,सामाजिक राजनीतिक धार्मिक संस्कृतिक और आर्थिक वातावरण बंगलादेशी मुस्लिमों घुसपैठिये के अनुकूल सिर्फ सत्ता में बने रहने का कारण ही नहीं अपितु इसको बहुत बड़े षडयंत्र के तौर पर आज समझने की आवश्कता है मुझे बंगाल के इतिहास में कृष्ण मोहन बनर्जी का नाम ध्यान आता है जो हिन्दू धर्म छोड़ कर खुद ईसाई बन गए फिर बंगाल क्रिश्चियन एसोसिएशन के पहले अध्यक्ष रहे, जिन्हें भारतीयों द्वारा प्रशासित और वित्तपोषित किया गया था साथ ही वह हेनरी लुई विवियन डारोजोओ के एक प्रमुख सदस्य थे, बंगाल समूह, शिक्षाविद, भाषाविद् और ईसाई मिशनरी । जिन्होंने हिन्दु समाज को सुधार ना करने से अच्छा हिन्दु धर्म को ही त्याग दिया ऐसे वे कृष्ण देव रॉय और ईश्वरचंद विद्यासागर से जो हिन्दु बने रहे और समाज की कुरीतियों को निकल सामजिक परिवर्तन किया जब में बंगाल को देखता हूँ तो बड़ी पीड़ा होती है वहां कभी ईसाईकरण कभी इस्लामीकरण पर बंगाल में अब फिर से राष्ट्रीयकरण कब होगा?, क्या बंगाल को आधर में ही छोड़ देना चाहिए ?,क्या बंगाल को विकास से वंचित कर के साम्प्रदायिकता तनाव में छोड़ दे? बंगाल कोर्ट से हर बार फटकार सुन कर ममता अपना मुस्लिम प्रेम जगज़ाहिर कर दिया देखो मैंने तो हिन्दूओ को रोका का पर कोर्ट की बात की अवमानना नहीं कर सकती। जब कोर्ट में ममता सरकार का अधिवक्ता से जर्ज में थोड़े तीखे सवाल किए तो बंगाल सरकार के पास शब्द नहीं थे अंत में जर्ज ने ममता को साम्प्रदायिक राजनीति ना करने की सलाह दी साथ ही माँ दुर्गा की शोभा यात्रा और शिया समुदाय की ताजिया साथ निकलने के आदेश दिए। मुझे लगता है कि जब तक सामजिक चेतना जागृत नहीं होंगे समाज जब अपने परेशानियों से खुद से नहीं लड़ेगा तब तक तुमको ऐसा ही शर्मसार होना होना अतः में अपनी अंतिम बात ये बोल कर ख़त्म करूँगा की समाज को सुधार के साथ चलना चाहिए हर समस्या का हल कभी तलवार नहीं होता सामजिक संग़ठन धर्मिक एकता सम्मान से हर समस्या का हल निकल सकता है हमको खुल कर अपनी बात रखने की आवश्यकता है हम उदार बने कभी भी कायर नहीं इसका उत्तर हमको भारत में इतिहास को पढ़ कर समझ सकते है।
विशाल कुमार
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